|| गणपती अथर्वशीर्ष ||
ॐ भद्रं कर्णेभिः
शृणुयम देवा भद्रंपश्येमाक्षभिर्यजत्राः ॥
स्थिरैरंगैस्तुष्टुवांसस्त्ननूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥१॥
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ॥
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ॥
स्वस्ति
नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्तिनो बहस्पतिर्दधाउ ॥२॥
ॐ शान्तिः । शान्तिः । शान्तिः ॥
ॐ शान्तिः । शान्तिः । शान्तिः ॥
हरिः ॐ
नमस्ते गणपतये॥
त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि॥ त्वमेव केवलं कर्तासि॥
त्वमेव केवलं धर्तासि॥ त्वमेव केवलं हर्तासि॥
त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि॥ त्वं साक्षादात्मासि नित्यं ॥१॥
ऋतं वच्मि॥ सत्यं वच्मि॥ २॥
अव त्वं माम्॥ अव वक्तारम्॥ अव श्रोतारम्॥
अव दातारम्॥ अव धातारम्॥
अवानूचानमव शिष्यम्॥
अव पश्चात्तात्॥ अव पुरस्तात्॥
अवोत्तरात्तात्॥
अव दक्षिणात्तात्॥ अव चोर्ध्वात्तात्॥
अवाधरात्तात्॥
सर्वतो मां पाहि पाहि समंतात्॥ ३॥
त्वं वाङ्मयस्त्वं चिन्मयः॥
त्वमानंदमयस्त्वं ब्रह्ममयः॥
त्वं सच्चिदानंदाद्वितीयोऽसि॥ त्वं
प्रत्यक्षं ब्रह्मासि॥
त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि॥ ४॥
सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते॥ सर्वं जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति॥
सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति॥ सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति॥
त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभः॥ त्वं चत्वारि वाक्पदानि।।५॥
त्वं गुणत्रयातीतः त्वं देहत्रयातीतः॥
त्वं कालत्रयातीतः त्वं मूलाधारास्थितोऽसि नित्यम्॥
त्वं शक्तित्रयात्मकः॥ त्वां योगिनोध्यायंति नित्यम्॥
त्वं ब्रह्मा । त्वं विष्णुस्त्वं ।
रुद्रस्त्वंमिंद्रस्त्वमग्निस्त्वं
वायुस्त्वं । सूर्यस्त्वं । चंद्रमास्त्वं
। ब्रह्मभूर्भुवःस्वरोम्॥ ६॥
गणादिं पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरम्॥
अनुस्वारः परतरः॥ अर्धेन्दुलसितं॥ तारेण ऋद्धं॥
एतत्तव मनुस्वरूपम्॥ गकारः पूर्वरूपम्॥
अकारो मध्यमरूपम्॥ अनुस्वारश्चांत्यरूपम्॥
बिन्दुरुत्तररूपम्॥
नादः संधानम्॥ संहिता संधिः॥
सैषा गणेशविद्या॥ गणक ऋषिः॥
निचृद्गागायत्रीच्छंदः॥
गणपतिर्देवता॥
ॐ गं गणपतये नमः॥ ७॥
एकदंताय विघ्नहे वक्रतुण्डाय धीमहि॥
तन्नो दंतिः प्रचोदयात्॥ ८॥
एकदंतं चतुर्हस्तं पाशमंकुशधारिणाम॥
रदं च वरदं हस्तैर्बिभ्राणं मूषकध्वजम्॥
रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम्॥
रक्तगंधानुलिप्तांगं रक्तपुष्पैः सुपूजितम्॥
भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमच्युतम्॥
आविर्भूतं च सृष्ट्यादौ प्रकृतेः पुरुषात्परम्॥
एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वरः॥ ९॥
नमोव्रातपतये। नमो गणपतये। नमः प्रमथपतये।
नमस्ते अस्तु लंबोदरायैकदंताय।
विघ्नानाशिने।
शिवसुताय श्रीवरदमूर्तये नमो नमः॥१०॥
एतदथर्वशीर्षं योऽधीते॥
स ब्रह्मभूयाय कल्पते॥ स सर्वविघ्नैर्नबाध्यते॥
स सर्वत: सुखमेधते। स पंचमहापापात्प्रमुच्यते॥
सायमधीयानो दिवसकृतं पापं नाशयति॥
प्रातरधीयानो रात्रिकृतं पापं नाशयति॥
सायं प्रातः प्रयुंजानो अपापो या भवति॥
सर्वत्राधीनोऽपविघ्नो भवति॥ धर्मार्थकाममोक्षं च विंदति॥
इदमथर्वशीर्षमशिष्याय न देयं ॥
यो यदि मोहाद्दास्यति स पापीयान् भवति।
सहस्रावर्तनात् यं यं काममधीते तं तमनेन साधयेत्॥ ।
अनेन गणपतिमभिषिंचति स वाग्मी भवति॥
चतुर्थ्यामनश्नन् जपति स विद्यावान् भवति।
इत्यथर्वणवाक्यम्॥
ब्रह्मद्यावरणं विद्यात् ।
न बिभेति कदाचनेति॥
यो दूर्वांकुरैर्यजति स वैश्रवणोपमो भवति॥
यो लाजैर्यजति स यशोवान् भवति स मेधावान् भवति॥
यो मोदकसहस्रेण यजति स वाञ्छितफलमवाप्नोति॥
यः साज्यसमिद्भिर्यजति स सर्वं लभते स सर्वं लभते॥
अष्टौ ब्राह्मणान् सम्यग्ग्राहयित्वा सूर्यवर्चस्वी भवति॥
सूर्यग्रहे महानद्यां प्रतिमासंनिधौ वा जप्त्वा सिद्धमंत्रो भवति॥
महाविघ्नात्प्रमुच्यते॥
महादोषात्प्रमुच्यते॥
महापापात् प्रमुच्यते॥
स सर्वविद्भवति स सर्वविद्भवति॥
य एवं वेद इत्युपनिषत्॥ १४॥
( टीप -
अथर्वशीर्ष आवर्तन १/५/११/२१/१००/१००० वेळा म्हणावे )
ॐ सहनाववतु॥ सहनौभुनक्तु॥ सह वीर्यं करवावहै॥
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥
ॐ भद्रं कर्णेभिः
शृणुयम देवा भद्रंपश्येमाक्षभिर्यजत्राः ॥
स्थिरैरंगैस्तुष्टुवांसस्त्ननूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥१॥
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ॥
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः ॥
स्वस्ति
नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्तिनो बहस्पतिर्दधाउ ॥२॥
ॐ शांति॒: । शांति॒:॥ शांति॑:॥
॥ इति श्रीगणपत्यथर्वशीर्षं समाप्तम्॥
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(१०८ वेळा जप )
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
गजानना गजानना पार्वतीनंदन गजानना || मोरया
||
गजानना गजानना पार्वतीनंदन गजानना || मोरया
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गजानना गजानना पार्वतीनंदन गजानना || मोरया
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गजानना गजानना पार्वतीनंदन गजानना || मोरया
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गजानना गजानना पार्वतीनंदन गजानना || मोरया
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गजानना गजानना गौरीनंदन गजानना || मोरया
||
गजानना गजानना गौरीनंदन गजानना || मोरया
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गजानना गजानना गौरीनंदन गजानना || मोरया
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गजानना गजानना गौरीनंदन गजानना || मोरया
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गजानना गजानना गौरीनंदन गजानना || मोरया
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गजानना गजानना शिवनंदनश्री गजानना || मोरया
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गजानना गजानना शिवनंदनश्री गजानना || मोरया
||
गजानना गजानना शिवनंदनश्री गजानना || मोरया
||
गजानना गजानना शिवनंदनश्री गजानना || मोरया
||
गजानना गजानना शिवनंदनश्री गजानना || मोरया
||
गजानना गजानना पार्वतीनंदन गजानना || मोरया
||
गजानना गजानना गौरीनंदन गजानना || मोरया
||
गजानना गजानना शिवनंदनश्री गजानना || मोरया
||
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया रे बाप्पा मोरया रे |
मोरया मोरया मंगलमुर्ती मोरया | मोरया
मोरया गजानना श्री मोरया | मोरया मोरया गणपतीबाप्पा मोरया |
मोरया मोरया मंगलमुर्ती मोरया | मोरया
मोरया गजानना श्री मोरया | मोरया मोरया गणपतीबाप्पा मोरया |
मोरया मोरया अष्टविनायक मोरया |
मोरया मोरया मयुरेश्वरा मोरया |
मोरया मोरया सिद्धिविनायक मोरया |
मोरया मोरया बल्लाळेश्वर मोरया |
मोरया मोरया वरदविनायक मोरया |
मोरया मोरया चिंतामणी मोरया |
मोरया मोरया गिरीजात्मजा मोरया |
मोरया मोरया विघ्नेश्वरा मोरया |
मोरया मोरया महागणपती मोरया |
मोरया मोरया दगडूशेठ मोरया | मोरया
मोरया दगडूशेठ मोरया |
मोरया मोरया दगडूशेठ मोरया |
मोरया मोरया दगडूशेठ मोरया | मोरया
मोरया दगडूशेठ मोरया |
मोरया मोरया दगडूशेठ मोरया |
मोरया मोरया दगडूशेठ मोरया | मोरया
मोरया दगडूशेठ मोरया |
मोरया मोरया दगडूशेठ मोरया | मोरया
मोरया दगडूशेठ मोरया |
मोरया ..... मोरया ......मोरया.....
(५ मिनिटे गजर करावा )
ॐ गं गणपतये नमः .......... गजानना ......... नमो ..... नमो..... नमः
|
ॐ गं गणपतये नमः .......... विनायका ......... नमो ..... नमो..... नमः
|
ॐ गं गणपतये नमः .......... भालचंद्रा ......... नमो ..... नमो..... नमः
|
ॐ गं गणपतये नमः .......... चिंतामणी ......... नमो ..... नमो..... नमः
|
ॐ गं गणपतये नमः .......... विघ्नहर्ता ......... नमो ..... नमो..... नमः
|
ॐ गं गणपतये नमः .......... सुखकर्ता ......... नमो
..... नमो..... नमः |
ॐ गं गणपतये नमः .......... दुखःहर्ता ......... नमो ..... नमो..... नमः
|
ॐ गं गणपतये नमः .......... गजानना ......... नमो ..... नमो..... नमः
|
निराकार ओंकार निर्गुण रूप | गणेश
तुझे रूप तेज स्वरूप |
तुझ्या आरतीला नभी लक्ष दीप | कसे
संग वर्णू तुझे विश्व रूप |
ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः | ॐ गं गणपतये नमः |
कर्पूरगौरं कारुणावतरं संसार सारं
भुज्गेंद्र धारं
सदा वसंतं हृदयार्विंदे भवं भवामी सहितं
नमामी |
श्री गणपतीची आरती
सुखकर्ता दु:खहर्ता
वार्ता विघ्नाची
नुरवी पुरवी प्रेम
कृपा जयाची
सर्वांगी सुंदर उटी
शेंदुराची
कंठी झळके माळ
मुक्ताफ़ळांची ॥धृ॥
जयदेव जयदेव जय
मंगल मुर्ती
दर्शन मात्रे
मन:कामना पुरती जयदेव जयदेव
रत्नखचित फ़रा तुज
गौरीकुमरा
चंदनाची उटी
कुंकुमकेशरा
हिरेजडीत मुकुट
शोभतो बरां
रुणझुणती नुपूरे
चरणी घागरिया ॥१॥
जयदेव जयदेव ....
लंबोदर पितांबर
फ़णिवर बंधना
सरळ सोंड वक्रतुंड
त्रिनयना
दास रामाचा वाट
पाहे सदना
संकटी पावावे
निर्वाणी रक्षावे सुरवरवंदना ॥२॥
जयदेव जयदेव ....
श्री देवीची आरती
दुर्गे दुर्गट भारी
तुजविण संसारी
अनाथ नाथे अंबे
करुणा विस्तारी
वारी वारी जन्म
मरणाते वारी
हारी पडलो आता संकट
निवारी॥१॥
जयदेवी जयदेवी
महिषासुरमर्दिनी
सुरवरईश्वरदे तारक
संजीवनी जयदेवी जयदेवी
त्रिभुवनी भुवनी
पाहता तुजाऎसी नाही
चारही श्रमले परंतु
न बोलवे काही
साही विवाद करता
पडीले प्रावाही
ते तु भक्तलागी ते
तु दासालागी पावसि लवलाही ॥ २॥
जयदेवी जयदेवी ....
प्रसन्न वदने
प्रसन्ने होसी निजदासा
क्लेशापासुनी सोडी
तोडी भवपाशा
अंबे तुजवाचून कोण
पुरविल आशा
नरहरी तल्लिन झाला
पदपंकजलेशा ॥३॥
जयदेवी जयदेवी ....
श्री शंकराची आरती
लवलवथी विक्राळा
ब्रह्मांडी माळा
विषे कंठकाळा
त्रिनेत्री ज्वाळा
लावण्यसुंदर मस्तकी
बाळा
तेथुनिया जल निर्मळ
वाहे झुळझुळा ॥१॥
जयदेव जयदेव जय
श्री शंकरा आरती
ओवाळू भावार्थी
ओवाळू तुज कर्पुरगौरा
कर्पुर्गौरा भोळा
नयनी विशाळा
अर्धांगी पार्वती
सुमनांच्या माळा
विभूतीचे उधळण
शतकंठ निळा
ऎसा शंकर शोभे
उमावेल्हाळा ॥२॥ जयदेव जयदेव....
देवी दैत्यी सागर
मंथन पै केले
त्यामाजी अवचित
हलाहल जे उठिले
ते त्वां असुरपणे
प्राशन केले
नीळकंठ नाम
प्रसिद्ध झाले ॥३॥ जयदेव जयदेव....
व्याघ्रांबरफ़णिवरधर
सुंदर मदनारी
पंचानन मनमोहन
मुनिजनसुखहारी
शतकोटीचे बीज वाचे
उच्चारी
रघुकुलटिळक रामदासा
अंतरी ॥४॥ जयदेव जयदेव....
श्री दत्ताची आरती
त्रिगुणात्मक
त्रैमुर्ती दत्त हा जाणा
त्रिगुणी अवतार
त्रैलोक्य राणा
नेती नेती शब्द नये
अनुमाना
सुरवर मुनिजन योगी
समाधी न ये ध्याना ॥१॥
जयदेव जयदेव जय
श्री गुरुदत्त आरती
ओवाळीता हरली
भवचिंता जयदेव जयदेव
सबाह्य अभ्यंतरी तू
एक दत्त
अभाग्यासी कैसी कळे
न ही मात
पराही परतली तेथे
कैचा हा हेत
जन्म मरणाचा पुरला
से अंत ॥२॥ जयदेव जयदेव....
दत्त येउनिया उभा
ठाकला
सद्भावे साष्टांगे
प्रणिपात केला
प्रसन्न होऊनी
आशिर्वाद दिधला
जन्म मरणाचा फ़ेरा
चुकविला ॥३॥ जयदेव जयदेव....
दत्त दत्त ऎसे
लागले ध्यान
हरपले मन झाले
उन्मन
मी तु पणाची झाली
बोळवण
एका जनार्दनी श्री
दत्त ध्यान ॥४॥ जयदेव जयदेव....
श्री विठ्ठलाची
आरती
युगे अठ्ठावीस
विटेवरी उभा वामांगी रखुमाई दिसे दिव्य शोभा
पुंडलिकाचे भेटी
परब्रह्म आले गा चरणी वाहे भीमा उद्धरी जगा ॥१॥
जयदेव जयदेव हरी
पांडुरंगा रखुमाई वल्लभा
राही च्या वल्लभा
पावे जिवलगा जयदेव जयदेव
तुलसीमाळा गळा कर
ठेवुनी कटी | कांसे पितांबर कस्तुरी
लल्लाटी
देव सुरवर नित्य
येती भेटी | गरुड हनुमंत पुढे उभे
राहती ॥२॥
जयदेव जयदेव....
धन्य वेणूनाद
अनुक्षेत्र पाळा | सुवर्णाची कमळे वनमाळा
गळा
राही रखुमाई राणीया
सकळा | ओवाळिती राजा विठोबा
सांवळा ॥३॥ जयदेव जयदेव....
ओवाळू आरत्या
कुर्वंडया येती | चंद्रभागेमाजी सोडुनिया
देती
दिंड्या पताका
वैष्णव नाचती | पंढरीचा महीमा वर्णावा
किती ॥४॥ जयदेव जयदेव....
आषाढी कार्तिकी
भक्त जन येती | चंद्रभागे मधे स्नान जे
करिती
दर्शन हेळामात्रे
तया होय मुक्ती | केशवासी नामदेव भावे
ओवाळिती ॥५॥ जयदेव जयदेव....
दगडूशेठ गणपतीची आरती
जय गणेश दगडूशेठ
गणपती देवा | जय गणेश दगडूशेठ गणपती देवा |
स्वीकार करलो भक्तो
कि सेवा | जय गणेश देवा
हे गजमुख धरी मूषक
सावरी | तीन्हो जगात मे ख्याती तुम्हारी
रवी शशी नित सांज सवेरे । रवी शशी
नित सांज सवेरे ।
उतारे तेरी आरती
देवा । जय गणेश देवा ।
जय गणेश दगडूशेठ
गणपती देवा | जय गणेश दगडूशेठ गणपती देवा |
हे श्रेष्ठ
सुंदर कृपालू दाता । सृष्टी नियंता हे एकदंता ।
चरणो मे तेरे जीवन
समर्पण । चरणो मे तेरे जीवन समर्पण ।
जय गणेश दगडूशेठ
गणपती देवा | जय गणेश दगडूशेठ गणपती देवा |
स्वीकार करलो भक्तो
कि सेवा | जय गणेश देवा
प्रार्थना
घालीन लोटांगण
वंदीन चरण
डोळ्यांनी पाहीन
रुप तुझे
प्रेमे अलिंगिन
आनंदे पुजिन
भावे ओवाळीन म्हणे
नामा ॥१॥
त्वमेव माता च पिता
त्वमेव
त्वमेव बंधुश्च सखा
त्वमेव
त्वमेव विद्या
द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम
देव देव ॥२॥
कायेन वाचा
मनसेंद्रियैर्वा
बुद्धयात्मना वा
प्रकृतिस्वभावात्
करोमि यद्यत सकलं
परस्मै
नारायणायेति
समर्पयामि ॥३॥
अच्युतं केशवं राम
नारायणमं
कृष्ण दामोदरं
वासुदेवं हरे
श्रीधरं माधवं
गोपिका वल्लभमं
जानकी नायकं
रामचंद्रं भजे ॥४॥
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण
कृष्ण हरे हरे ॥५॥
मंत्रपुष्पांजली
यद्येन यज्ञमयजन्त
देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्
तेहनाकं महिमान:संच
यत्र पूर्वे साध्या सन्ति देवा:
राजाधिराजाय
प्रसह्यसाहिने
नमो वयं वैश्रवणाय
कुर्महे
स मे कामान्
कामकामाय मह्य़ं
कामेश्वरो वैश्रवणौ
ददातु
कुबेराय वैश्रवणाय
महाराजाय नम:
स्वस्ति साम्राज्यं
भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं
पारमेष्ठ्य़ं राज्यं
महाराज्यमाधिपत्यमयं
समन्तपर्या ईस्यात् सार्वभौम:
सार्वायुष
आंतादापरार्धात् पृथिव्यै
समुद्रपर्यंताया
एकराळिती
तद्प्येषश्लोको
भिगितो " मरुत: परिवेष्टारो
मरुत्तस्यावसन्
गृहे
आविक्षितस्य
कामप्रेर्विश्वेदेवा:
सभासद " इति:
॥ गणपती बाप्पा
मोरया, मंगलमुर्ती मोरया ॥
मोरया रे बाप्पा मोरया रे | मोरया
रे बाप्पा मोरया रे |
(५ मिनिटे गजर करावा )
समाप्त ....