श्री गणेश करुणाश्लोक १
घोर हा नको फार कष्टलो |
निजहितास मी व्यर्थ गुंतलो |
वारि शीघ्र संसार यातना |
दे दयानिधे श्री गजानना || १ ||
विषय गोड हे लागले मला |
यामुळे असे घात आपुला |
कालुनीया असें भ्रांति जाईना |
हे दयानिधे श्री गजानना || २ ||
त्रिविध ताप हा जाळितो अती |
काम क्रोध हे जान पीडती |
चित्त सर्वथा स्वस्थ राहिना |
हे दयानिधे श्री गजानना || ३ ||
स्त्री धनादि हे आठवे मनी |
छंद हाच रे दिवसयामिनी |
विसरलो तुला दिनपालना |
हे दयानिधे श्री गजानना || ४ ||
माउली पिता बंधू सोयरा |
तूंचि आमुचा निच्छये खरा |
शरण तुंज मी विघ्नभजना |
हे दयानिधे श्री गजानना || ५ ||
म्हणवितो तुझा दास या जनी |
सकळ व्यापका जाणशी मनी |
भुक्ती मुक्ती दे भक्तपालना |
हे दयानिधे श्री गजानना || ६ ||
काय काय रे साधनें करू |
मी असे तुझे मुर्ख लेकरु |
विटंबिती मला द्वेत्तभावना |
हे दयानिधे श्री गजानना || ७ ||
विषयचिंतनें शोक पावलों |
देह बुध्दीने व्यर्थ नाडलों |
भालचंद्रजी तोड़ी बंधना |
हे दयानिधे श्री गजानना || ८ ||
गजमुखा तुझी वाट पहातां |
नेत्र शीणले जाण तत्वतां |
भेटसी कधी भ्रमनिवारणा |
हे दयानिधे श्री गजानन || ९ ||
प्रभु समर्थे तू आमुचे शिरी |
वेष्टिलों असे विषयापामरीं |
नवल हेंचि रे वाटते मना |
हे दयानिधे श्री गजानना || १० ||
अगुन अद्वया तू परात्परा |
पार नेणवे विधि हरीहरां |
अचल निर्मला नित्य निर्गुणा |
हे दयानिधे श्री गजानना || ११ ||
जिवन व्यर्थ हे तुज वेगळे |
स्वहित आपुले काम साधिले |
सुख नसे सदा मोहयातना |
हे दयानिधे श्री गजानना || १२ ||
फारसे मला बोलता न ये |
पाउले तुझे देखिलीं स्वये |
मांडिली असे बहुत वल्गना |
हे दयानिधे श्री गजानना || १३ ||
दीनबंधू हे ब्रीद आपुले |
साच तूं करीं दाविं पाउले |
मंगलालया विश्वजीवना |
हे दयानिधे श्री गजानना || १४ ||
नाशिवंत रे सर्व संपदा |
हे नको मला पाव एकदा |
क्षेम देउनी चित्तरंजना |
हे दयानिधे श्री गजानना || १५ ||
जातसे घडी पल युगापरी |
लागली तुझी खंती अंतरी |
स्वामी आपुला विरह साहिना |
हे दयानिधे श्री गजानना || १६ ||
कळेल तें करी विनविणे किती |
तारी अथवा मारीं गणपती |
सकलदोष अन संकष्टनाशना |
हे दयानिधे श्री गजानना || १७ ||
आवडे मला त्रिभुवनाकृती |
पूजुनी बरी करीन आरती |
धांव पांव रे मोदकाशना |
हे दयानिधे श्री गजानना || १८ ||
हृदय कठीण तूं न करि सर्वथा |
अंत आमुचा बघसी पुरता |
सिध्दी वल्लभा मूषकवाहना |
हे दयानिधे श्री गजानना || १९ ||
कल्पवृक्ष तू कामधेनु वा |
लाविजे स्तनीं जिविंच्या जिवा |
हाचि हेत रे शेष भुषणा |
हे दयानिधे श्री गजानना || २० ||
गणपति तुझे नाम चांगले |
आवड़ी बहू चित्त रंगले |
प्राथना तुझी गौरीनंदना |
हे दयानिधि श्री गजानना || २१ ||
तारिं मोरया दुःखसागरीं |
गोसावीनंदन प्रार्थना करी |
आत्मया मनी जाण चिदघना |
हे दयानिधे श्री गजानना || २२ ||