परशुराम चालीसा
!!दोहा!!
*श्रीशिव गुरु स्वामी माहेश्वर मज तु उद्धारी !*
*उमा सहीत दायकु आर्शिवाद मज तु तारी !!*
*बुद्धिदेवता तव जानिके दिये परशु तुमार !*
*तव बल जानिये दुनिया सारी दुष्टि करे हहाकार !!*
॥चौपाई॥
जय परशुराम बलवान दुनिया सार!
जय रामभद्र कहे लोक करे जागर!!१!!
शिव शिष्य भार्गव तव नामा !
रेणुका पुत्र जमतग्निसुत लामा !!२!!
शुरविर नारायण तव अंगी !
छटा अवतार सुहीत के संगी !!३!!
परशु तव हस्ता दिसे सुवेसा !
ऋषि मुद्रिका तव मन श्रेसा !!४!!
हाथ शिवधनुष्य भार्गवा साजै !
विप्र कुल कांधे जनेउ साजै !!५!!
विष्णु अंश ब्रह्मकुलनंदन !
तव गाथा पढे करे जग वंदन !!६!!
वेद ही जानत असे चतुर !
शिवजी के शिष्य बलशाली भगुर !!७!!
पृथ्वि करे निक्षेत्र एक्कीस समया !
विप्र रक्षोनी दुष्टास मारीया !!८!!
भार्गव अवतारी तव गुन गावा !
कर्म स्वरुपे तव चिरंजीवी पावा !!९!!
सहस्राजुना तव तु संहारे !
पिता वचन दिये तव तु पारे !!१०!!
पीता होत तव अज्ञाये !
माता शिरछेद कर तु जाये !!११!!
जमदग्नी कहे मम पुत्र प्रियई !
तुम जो चांहे आर्शिवाद मांगई !!१२!!
भद्र कहते मम माता ही जगावैं !
भ्राता सहीत मम सामोरी लावैं !!१३!!
तव मुखमंडल दिसे ऋषिसा !
घोर तपस्वि पठन संहीता !!१४!!
मुद्रा गिने कुबेर ही थक जांते !
तव धन कबि गिन ना पांते !!१५!!
तुम उपकार ब्रह्मकुले कीह्ना !
ब्रह्म मिलाय राज पद दीह्ना !!१६!!
तुह्मरो शक्ती सब जग जाना !
राक्षस कांपे तुमये भय माना !!१७!!
तुम चिरंजीव असे जग जानु !
जो करे तव भक्ती मधुर फल भानु !!१८!!
बुद्धिदाता परशु हथ तुज देई !
शिव धनुष्य माहेश्वर मिलमेेई !!१९!!
दुष्ट संहार कर त्रिलोक जिते !
ब्रह्मकुल के तुम भाग्यविधाते !!२०!!
ऋषि मुनि के तुम रखवारे !
शिव आज्ञा होत दुहीत को संहवारे !!२१!!
सब जग आंये तुह्मरी शरना !
तुम रच्छक काहू को डर ना !!२२!!
परशु चमक रवि ही छुंपै !
भार्गव नाम सुनत दुष्ट थर कांपै !!२३!!
रेणुका पुत्र नाम जब आंवै !
तब तव गान सहस्र जुग गांवै !!२४!!
परशुराम नाम सुरा !
जपत रहो ब्रह्मविरा !!२५!!
संकट पडे तो भद्र बचांवै !
मन से ध्यान भार्गव जो लांवै !!२६!!
जगत के तुम तपस्वी राजा !
ब्रह्मकुल जन्मे उपकार मज वर कीजा !!२७!!
इच्छा धरीत तुज भक्ती जो कीवै !
इच्छित जो तिज फल पावै !!२८!!
भार्गव नाम सुनित होय उजियारा !
आज्ञा पालत तव जग दिवाकरा !!२९!!
राम सह धनुर युद्ध पुकारे !
अवतार सप्तम समज दुवारे !!३०!!
युद्ध कौशल्य वेदो जानता !
कौतुक देखे रेणुका माता !!३१!!
चारो जुग तुज कीर्तीमासा !
सदा रहो ब्रह्मकुल के रासा !!३२!!
तेहतीस कोट देव तुज गुन गावै !
भार्गव नाम लेत सब दुख बिसरावै !!३३!!
तुज नाम महीमा लागे माई !
जनम जनम करे पुण्य कमाई !!३४!!
म्हारे चित्त तुज दुज ना जाई !
सारे सेई सब सुख मज पाई !!३५!!
परशुराम नाम सुने भागे पीरा !
भद्र नाम सुनत उठे ब्रह्मविरा !!३६!!
जय परशुराम कहें मज विप्राईं !
तुज कृपा करहु भार्गव नाईं !!३७!!
पठे जो यह शत बार कोई !
भार्गव कृपा उस सदैव होई !!३८!!
पढित यह परशुराम चालीसा !
सुख शांती नांदे रहे विष्णुदासा !!३९!!
वसंतसुत पुरुषोत्तम रज असै तैरा!
तुज भक्ती मोही जुग जग सारा !!४०!!
॥दोहा॥
*रेणुका नंदन नारायण अंश ब्रह्मकुल रुप !*
*परशुराम भार्गव रामभद्र ह्रदयी बसये भुप !!*