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नमस्तेय नमोः नमः।।

या देवी स्वःभूतेषु शाक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु सहनशीलता रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु सकारात्मक ऊर्जा रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।
या देवी स्वःभूतेषु कार्य सिद्ध रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु नवभक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु मार्ग -दर्शन रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु लक्ष्य रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु मन- मस्तिष्क शुद्ध रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु विचार शुद्ध रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु कृपा रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु मन स्थिर रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु सहनशीलता रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु मन स्थिर रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः।।
या देवी स्वःभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु श्रृद्धा रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु क्षुधा रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु क्षान्ति रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु लज्जा रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु निद्रा रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु छाया रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु तृष्णा रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु जाति रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु कान्ति रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु वृत्ति रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु स्मृति रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु दया रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु तुष्टि रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।
या देवी स्वःभूतेषु भ्रांति रूपेण संस्थिता नमस्तेय नमस्तेय नमस्तेय नमोः नमः।।


श्री स्वामी समर्थ आरती

जयदेव जयदेव श्री स्वामी समर्था आरती ओवाळू चरणी ठेवूनिया माथा !! जयदेव जयदेव..!!   छेली खेडेग्रामी तू अवतरलासी, जगदुध्दारासाठी राया तू फिरसीभ...

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