नृसिंहसरस्वती अष्टक
इन्दुकोटीतेज करूणासिंधु भक्तवत्सलम
नंदनात्रिसुनूदत्तमिन्दिराक्षश्रीगुरूम
गंधमाल्याक्षतादिवृंददेववंदितम वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि माम||१||
मायापाशंधकारछायादूर भास्करम आयताक्ष पाहि श्रियावल्लभेशनायकम|
सेव्यभक्तवृंद वरद भूयो भूयो नमाम्यहम वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश
पाहि माम||२||
चित्तजादिवर्गषटकमत्तवारणांकुशम तत्वसार शोभितात्म दत्त
श्रियावल्लभम|
....................................... वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश
पाहि माम||३||
व्योमतेजवायूआपभूमीकर्तुमिश्वरम काम क्रोध मोहरहित सोमसूर्यलोचनम|
कामितार्थदातृभक्त कामधेनूश्रीगुरुम वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि
माम||४||
पुन्डरीकाअयताक्ष कुंदलेंदुतेजसम चंड दुरितखंदनार्थ
दंडधारिश्रीगुरुम|
मण्डलीक मौली मार्तंडभासिताननम वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि माम||५||
वेदशास्त्रस्तुत्यपाद आदिमूर्तीश्रीगुरुम नादबिंदूकलातीत-कल्पपादसेव्ययम|
सेव्यभक्तवृंदवरद भूयो भूयो नमाम्यहम वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि
माम||६||
अष्टयोगतत्वनिष्ठ तुष्टज्ञानवारिधीम कृष्णावेणीतीरवासपंचनदी सेवनम|
कष्टदैन्यदूरीभक्ततुष्ट काम्यदायकम वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि
माम||७||
नारसिंह सरस्वती नाम अष्टमौक्तीकम हारकृत शारदेन गंगाधराआत्मजम|
धारणीक देवदीक्ष गुरुमूर्ती तोषितम वंदयामि नारसिंह सरस्वतीश पाहि
माम||८||
परमात्मानंदश्रिया पुत्रपौत्रदायकम नारसिंहसरस्वतीय अष्टकं च यः
पठेत|
घोर संसारसिंधू तारणाख्य साधनम सारज्ञानदीर्घाअयुरारोग्यादिसंपदम||
चारुवर्ग काम्यलाभ वारंवारयज्जपेत|
इति श्री गुरुचरित्रांतर्गत श्रीनरसिंहसरस्वतीअष्टकसंपूर्णम|