|| सूर्याष्टक
स्तोत्र ||
आदि
देव: नमस्तुभ्यम प्रसीद मम भास्कर । दिवाकर नमस्तुभ्यम प्रभाकर नमोअस्तु ते ॥
सप्त अश्व रथम आरूढम प्रचंडम कश्यप आत्मजम । श्वेतम पदमधरम देवम तम
सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
लोहितम रथम आरूढम सर्वलोकम पितामहम । महा पाप हरम देवम त्वम सूर्यम
प्रणमामि अहम ॥
त्रैगुण्यम च महाशूरम ब्रह्मा विष्णु
महेश्वरम । महा पाप हरम देवम त्वम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
बृंहितम तेज: पुंजम च वायुम आकाशम एव च
। प्रभुम च सर्वलोकानाम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
बन्धूक पुष्प संकाशम हार कुण्डल भूषितम
। एक-चक्र-धरम देवम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
तम सूर्यम जगत कर्तारम महा तेज:
प्रदीपनम । महापाप हरम देवम तम सूर्यम प्रणमामि अहम ॥
सूर्य-अष्टकम पठेत नित्यम ग्रह-पीडा
प्रणाशनम । अपुत्र: लभते पुत्रम दरिद्र: धनवान भवेत ॥
आमिषम मधुपानम च य: करोति रवे: दिने ।
सप्त जन्म भवेत रोगी प्रतिजन्म दरिद्रता ॥
स्त्री तैल मधु मांसानि य: त्यजेत तु
रवेर दिने । न व्याधि: शोक दारिद्रयम सूर्यलोकम गच्छति ॥