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सिद्ध मंगल स्तोत्र (पिठापूर येथे म्हटले जाणारे )

श्री मदनंत श्री विभूषित अप्पल लक्ष्मी नरसिंह राजा |
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमद्खंड श्री विजयी भाव ||  

श्री विद्याधरी राधा सुरेखा श्री राखीधर श्रीपादा |
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमद्खंड श्री विजयी भाव ||   

माता सुमती वात्सल्यामृत परिपोषित जय श्रीपादा |
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमद्खंड श्री विजयी भाव ||   

सत्यऋषीश्वर दुहीतानंदन बापनाचार्यनुत श्रीचरणा |
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमद्खंड श्री विजयी भाव ||   

सावित्र काठकचयन पुण्यफला भारद्वाज ऋषी गोत्र संभावा |
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमद्खंड श्री विजयी भाव ||   

दौ चौपाती देव लक्ष्मी गण संख्या बोधित श्री चरणा |
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमद्खंड श्री विजयी भाव ||   

पुण्या रुपिणी राजमांबासुत गर्भपुण्यफलसंजाता |
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमद्खंड श्री विजयी भाव ||   

सुमती नंदन नरहरीनंदन दत्तदेव प्रभू श्रीपादा |
जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमद्खंड श्री विजयी भाव ||   

पीठीकापूर नित्यविहारा मधुमती दत्त मंगलरुपा |  

जय विजयी भव, दिग्विजयी भव, श्रीमद्खंड श्री विजयी भाव ||   

श्री स्वामी समर्थ आरती

जयदेव जयदेव श्री स्वामी समर्था आरती ओवाळू चरणी ठेवूनिया माथा !! जयदेव जयदेव..!!   छेली खेडेग्रामी तू अवतरलासी, जगदुध्दारासाठी राया तू फिरसीभ...

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