सुसंगति सदा घडो
सुसंगति सदा घडो सुजनवाक्य कानी पडो। कलंक मतिचा झडो विषय सर्वथा नावडो॥
सदंघ्रिकमळी दडो मुरडिता हटाने अडो। वियोग घडता रडो मन भवच्चरित्री जडो॥१॥
न निश्चय कधी ढळो कूजन विष्न बाधा टळो। न चित्त भजनी चळो मति सदुक्तमार्गी वळो॥
स्वतत्त्व हृदयां कळो दुरभिमान सारा गळो। पुन्हा न मन
हे मळो दुरित आत्मबोधे जळो॥२॥
-मोरोपंत