।। सत्यनारायण स्वामी आरती ।।
जय लक्ष्मी रमणा, श्री लक्ष्मी रमणा।
सत्यनारायण स्वामी जन-पातक-हरणा।। जय..
रत्नजटित सिंहासन अद्भुत छबि राजै।
नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे।। जय..
प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दरस दियो।
बूढ़े ब्राह्मण
बनकर कंचन-महल कियो।।जय।।
दुर्बल भील कठारो, जिनपर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा, जिनकी बिपति हरी।। जय..
वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं।
सो फल भोग्यो प्रभुजी फिर अस्तुति कीन्ही।। जय..
ग्वाल-बाल संग राजा वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीन्हों दीनदयालु हरी।। जय...
भाव-भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो।
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो।। जय.
भरत प्रसाद सवायो कदली फल, मेवा।
धूप-दीप-तुलसी से राजी सत्यदेव।। जय..
श्री सत्यनारायण
जी की आरती जो कोई नर गावै।
श्री तुलसी प्रदक्षिणा मंत्र |
यानि कानि च पापानि ब्रह्म-हत्यादिकानि च । तानि तानि प्रणश्चन्ति प्रदक्षिणा पदे पदे ।।
श्रीमती तुलसी देवी की परिक्रमा करने से
प्रत्येक पद पर ब्रह्महत्या पर्यन्त सभी पापों का नाश होता है